हम बाप-बेटी की बातें यूं ही शादी-ब्याह से शुरू हुई थीं. फिर लव-मैरिज से लेकर अरेंज-मैरिज तक होने लगी. मैंने यूं ही बेटी से पूछ लिया कि अच्छा एक बात तो बताओ.
पापा- आपको क्या लगता है पापा का कभी लव-अफेयर जैसा कुछ रहा होगा?
बेटी- आपको sad-सा देखकर लगता तो नहीं कि कभी कुछ.
पापा- sad-सा मतलब?
बेटी- ओह सॉरी. शायद मैंने गलत शब्द इस्तेमाल कर लिया. आप इसे यूं माने. जैसे आपने रसगुल्ले के बारे में खूब सुना हो. खूब पढ़ा हो. लेकिन कभी उसका स्वाद ना लिया हो. मतलब कभी खाने को ना मिला हो. कुछ ऐसा ही.
4.
पापा- बच्चू इस वाले काम में बिल्कुल भी मन नहीं लगता.
बेटी- हां. मैंने भी देखा कि इस काम में आपका मन नहीं लगता.
पापा- क्या किया जाए? इसको किए बिना काम भी नहीं चलेगा.
बेटी- आपको इस काम को करने का दवाब तो है नहीं. कि करना ही करना है. इसलिए ये काम डर से तो नहीं होगा. तो फिर इसे प्यार से करो.
पापा- मतलब?
बेटी- मतलब ये कि इसे करने के लिए. इसे टुकड़ो में बांटो. और जिस काम या चीज को ज्यादा प्यार से करते हो. मन से करते हो. उसे करने से पहले इस काम एक टुकड़े को निपटा दो. मतलब कि आप सुबह सोशल मीडिया पर जाए बिना नहीं रहते हो. तो एक डेडलाइन सेट करो कि इस काम का इतना हिस्सा जब तक पूरा नहीं होगा तब तक मैं सोशल मीडिया पर नहीं जाऊंगा. मैं तो पहले ऐसे ही करती थी. आपको तो पता ही मैं दही खाने की कितनी शौकीन हूं. जब मैं 6-7 क्लास में थी तो मेरा किसी-किसी को पढ़ने का मन ही नहीं करता था. जब मन ही नहीं होगा तो सवाल-जवाब याद कैसे होंगे. तो फिर मैंने ये आईडिया निकाला कि जब तक मैं इस टॉपिक को अच्छे से समझ या याद नहीं कर लूंगी तब दही नहीं खाऊंगी. बस फिर क्या था. मेरा काम हो जाता था. आप भी ऐसे ही करो.
पापा- अरे आईडिया तो अच्छा है. देखता हूं.
बेटी- देखो नहीं करो.
~02.02.22~
5.
बेटी के स्कूल से निकलने के बाद मैंने पूछो, और बच्चू कैसा गया पेपर?' बेटी ने हाथ से फिफ्टी-फिफ्टी वाला इशारा किया. मेरे को एकदम से झटका लगा. उस झटके वाली मुद्रा में ही मैंने बेटी को देखा तो वो बिल्कुल शांत-सी थी. जैसे कह रही हो पापाजी चिल.
फिर बाद में चहकते हुए बोली, 'पापाजी पता आज हमने अपनी क्लास में पंखा चलाया. क्या पॉजिटिव वाइब्स आ रही थीं. अब हम भी पंखा चलाएंगे. हैं ना!!'
और फिर नहाने-धोने के बाद. जब सोने जाने लगी तो बोली, 'पापाजी आपकी वजह दिन में पंखा नहीं चला रही हूं लेकिन शाम को तो चलाएंगे.'
~14.03.2022~
6.
पापा- बच्चू मोबाइल में क्या देख रहे हो?
बेटी- कुछ नहीं.
पापा- कुछ तो देख रहे हो. लीड हटाकर देख लो हम सुनकर काम चला लेंगे.
बेटी- पापाजी आप एक काम करो. प्राइम इंस्टाल कर लो मोबाइल में. पासवर्ड मेरे से ले लो. वरना एक और आईडिया है. वो आप 'दसवीं' फिल्म देखने के लिए कह रहे थे ना. जिओ इंस्टाल कर लो. ओटीपी मम्मीजी से ले लो. ( कुछ सेकंड का पॉज.) ओह सॉरी जिओ तो आप इंस्टाल नहीं करोगे, वो अंबानी का है ना!
[बेटी ये नहीं कह रही है कि चलो पापाजी आपका पीसी खराब हो गया तो मेरे मोबाइल से फिल्म देख लो. भई आजकल के बच्चों को अपना मोबाइल नहीं देना. बल्कि जिस दिन पीसी खराब हुआ था. तो कह रही थी कि पापाजी जब भी आपका पीसी खराब हो जाता है ना. तो आप अजीब-सी बातें करने लगते हो!]


No comments:
Post a Comment