Saturday, September 27, 2025

पापाजी जब हम खुश होते हैं तो गाने के बोल पर ध्यान नहीं देते बल्कि उसकी बीट्स का आनंद लेते हैं. और जब हम उदास होते हैं तो गाने के बोल पर ध्यान देते

1.

पापा- घबराहट और बेचैनी कुछ ज्यादा ही हो रही है भई.

बेटी- पापाजी एक काम करो ना.

पापा- क्या!

बेटी- '99 फिल्म' के गाने सुन लो या फिर 'कन्हैया' को सुन लो. और कुछ नहीं तो 'मेरी निम्मो' फिल्म ही देख लो!!


[ बीती रात बाप-बेटी की बातचीत. उसका मानना है कि जब मैं ये सब देख-सुनता हूं तो घबराहट की शिकायत नहीं करता.]

~15.01.20~


2.


बेटी- पापाजी आपको अपनी शक्ल में क्या-क्या अच्छा लगता?

पापा- मुझे तो अपनी सूरत ही अच्छी नहीं लगती.

बेटी- क्यों?

पापा- बस यूं ही. दरअसल मेरी शक्ल कहीं से भी सुंदर नहीं है.

बेटी- औरों के पापाओं से तो अच्छे ही दिखते हो. पता है जब आप जींस के ऊपर कुर्ता और सिर पर टोपी पहनते हो तो बेहद अच्छे लगते हो.

~17.07.20~


3.


बेटी- पापाजी वो गाना चलाना जो आप पिछले हफ्ते सुन रहे थे.

पापा- कौन सा वाला?

बेटी- अरे वही जिसे आप बार-बार सुन रहे थे.

पापा- मैं तो अपनी पसंद के गाने बार-बार ही सुनता हूं.

बेटी- वो था ना अपनी कहानी.

पापा- अच्छा. अपनी कहानी कैसे कहें.

बेटी- हां वही.

पापा- बच्चू मेरी पसंद के गीत पसंद आने लगे हैं.

बेटी- चलो-चलो एक गीत के पसंद आने से कुछ नहीं होता है!!

~15.08.2020~

 

4.


बेटी- आपको पता है पापाजी.

पापा- क्या?

बेटी- जब हम खुश होते हैं तो गाने के बोल पर ध्यान नहीं देते बल्कि उसकी बीट्स का आनंद लेते हैं. और जब हम उदास होते हैं तो गाने के बोल पर ध्यान देते.

~31.10.20~

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