हमारी चुनमुन अब बड़ी होने लगी है
छोटे-छोटे पैरों से अब वह दोड़ने लगी है.
सुबह जब उठती है फूल-सी हंसती है
अम्मा,बाबा,मम्मा,पप्पा,चाचू,बुआ
को मार आवाजें सारे घर में वह घूमती फिरती है.
जब नहाने की करो बात, तब रोनी-सी सूरत बना लेती है
नहा-धोकर जब वह आती है, परी-सी मुझे वह दिखती है.
शब्दों को सही-सही बोल नहीं पाती है
पर इशारों में वह सब समझाती जाती है.
अपनी जानवरों की किताब में
सब जानवरों को वह पहचानती है
पूछने पर उंगली रख वह हम सबको बताती है.
घूमने की शौकिन है
झट पी-पी करती मोटरसाईकिल पर चढ़ जाती है
सबको बाय-बाय बोल, फिर टाटा-टाटा वह करती जाती है.
जब-जब कभी कोई उसे हल्का-सा भी डांट देता है
तब-तब वह अपनी आंखों से छोटे-छोटे आंशू टपकने लगती है.
कभी-कभी उठा मुझे कुर्सी से, खुद को बैठाने का इशारा करती है
एक हाथ से माऊस पकड़, दूसरे हाथ से कीबोर्ड वह चलाती है.
आलती-पालती मार जब वह खाना खाने बैठती है
अपने खाने में से हमें भी वह थोड़ा-थोड़ा देती रहती है.
जब वह थक जाती है, तब इशारे से मम्मा को बताती है
रख कंधे पर फिर सिर अपना झट से वह सो जाती है.
-चुनमुन के पापा
~01.07.2008~

No comments:
Post a Comment