एक किताब 'गुप्त भारत की खोज' पढ़ रहा था. और वो 'मिस्र के एक जादूगर के जादू' के रहस्य के बारे में बता रही थी. जिसकी वजह से सोने का मन ही नहीं हो रहा. वो भी रात 12 बजे. खैर कुछ देर में वो जादू पढ़ा तो डेस्कटॉप बंद किया. उसी के बीच में.
बेटी- पापाजी आज सोना नहीं क्या?
पापा- बस अभी पांच मिनट में सोते हैं. बच्चू ये किताब भी क्या गजब है!
बेटी- पापाजी वो आपने 'अक्टूबर' फिल्म देखी है.
पापा- हां देखी है.
बेटी- कैसी है?
पापा- ठीक ही है.
बेटी- नेट पर बता रहे थे कि बहुत अच्छी फिल्म है.
पापा- इतनी भी बहुत अच्छी नहीं है कि...वो एक लड़की है.
बेटी- वो मैं कहानी नहीं पूछ रही. कहते हैं इसमें वरुण ने अच्छा काम किया है.
पापा- ठीक ही किया है. जब कोई फिल्म थोड़ी हटकर हो तो प्रशंसा तो होती है लेकिन ये उस तरह की हिट फिल्म नहीं होती. एक ख़ास तबका ही ऐसी फिल्म पसंद करता है. जैसे शाहरुख की एक अच्छी फिल्म थी ' कभी हां कभी ना'. लेकिन वो इतना नहीं चली. वहीँ शाहरुख की और फ़िल्में चलीं लेकिन वे इतना अच्छी नहीं थी.
बेटी- पापाजी वो क्या है ना हम फिल्म इसलिए देखने जाते हैं कि कुछ देर के लिए हम लाइफ से थोड़ा दूर हो सके. थोड़ा अच्छा फील कर सके.
पापा- हूं! अच्छा वो किताब थी ना.
बेटी- क्या पापाजी फिर से किताब ले आए! उसी से बचने के लिए तो मैंने फिल्म की बात चलाई थी
पापा- ओ हो!
बेटी- चलो अब बता ही दो क्या था किताब में.
पापा- नहीं रहने दो. जब आपका मन ही नहीं. तो क्या ही बताना.
बेटी- अब बता भी दो. ऐसा भी क्या है.
पापा- अरे अब नहीं.
बेटी- नहीं बताना है तो मत बताओ. अच्छा तो फिर गुड नाईट!
~25.10.22~
~दोपहर में खाना खाने के बाद~
पापा- कुछ मीठा है?
पत्नी बेटी से-पापा तो सब कुछ खा जाएंगे.
पापा- बच्चू ने भी दो रसगुल्ले लिए हैं.
बेटी- मैंने तो सिर्फ दो ही रसगुल्ले लिए हैं. आपने तो रसमलाई भी खा ली. रसगुल्ले भी खा लिए, मिल्क केक भी खा लिया. अब काजू कतली भी ले ली और और!
~25.10.22~
16.
लंच के वक्त मैं Youtube पर RJ प्रवीण के विडियो देख रहा था.
बेटी- पापाजी ये क्या लगा रखा है. जब देखो इन्हें ही देखते रहते हो. आज शाहरुख़ खान का जन्मदिन है. कुछ उनका लगाओ. उनके जन्मदिन पर सेलिब्रेशन होना चाहिए!
मम्मी- शाहरुख को विश किया कि नहीं.
और फिर हम दोनों एक साथ हा-हा-हा!
~02.11.22~
17.
बेटी- पापाजी पूरे दिन शॉपिंग करते रहे लेकिन फील नहीं आया शॉपिंग का!
पापा- क्यों भई. इतने पैसे खर्च हो गए. जिंदगी में पहली बार इतने महंगी जींस ली हैं मैंने और आप कह रही हैं कि फील नहीं आया शॉपिंग का.
बेटी- जो-जो खरीदते रहे. वो-वो घर से लेकर गए बैग में डालते रहे बस. जब-तक हाथों में दुकानदारों के दिए दो-चार बैग ना हो तो फील नहीं आती है शॉपिंग की!
~04.11.22~
18.
बेटी-पापाजी आज सुबह स्कूल जाते वक्त मुझे ओनर वाली फीलिंग आ रही थी.
पापा- मतलब?
बेटी- वो ना आज स्कूल वैन में कोई भी बच्चा नहीं था. मैं अकेली ही पीछे बैठी थी.
पापा- हा हा हा!
~01.11.22~
19.
बेटी- पापाजी मैंने फ्रीज से दो चॉकलेट बाहर रख दी है. जब वहां जाओ तो लेते जाना.
पापा- इनका मैं क्या करूंगा?
बेटी- करना क्या है जब भूख लगे तो खा लेना. मुझे पता है आप दावत में कुछ नहीं खाओगे.
~06.12.22~
20.
बेटी- पापाजी, ताऊजी क्यों आए थे?
पापा- आपकी जो मिलाई मिली थी वो देने आए थे.
बेटी- मिलाई की जगह लड्डू ही दे जाते!
[ दरअसल शादी में बेटी को लड्डू खाने को नहीं मिले . अब अपनी मम्मी से कहती है कि मम्मी वो जो मेरी मिलाई के पैसे मिले हैं ना उससे हलवाई की दुकान से लड्डू ले आना. वो भी छोटी बूंदी के.]
~12.12.22~



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