Saturday, September 27, 2025

पापाजी पता है जब आप किसी चीज या आदमी को पसंद करने लगते हैं तो वो चीज अपनी और इंसान अपने ही लगने लगते हैं...

आखिरकार कल कनॉट प्लेस जाकर बेटी के मोबाइल की सिम बदलवा ही दी. आप सोच रहे होंगे कि एक सिम के लिए सीपी. दरअसल हम बाप-बेटी को घूमने का बहाना चाहिए बाकी बात कुछ यूं भी है कि पहले बेटी अपने पापा की नजरों से कनॉट प्लेस को देखा करती थी. लेकिन पिछले दो एक सालों से बेटी खुद ही अकेले आने-जाने लगी है. तो अपनी नज़रों से दुनिया खासकर दिल्ली को देखने लगी है. बल्कि यूं कहूं कि कल बेटी मुझे कनॉट प्लेस में घूमा रही थी. एक बात बताऊं तो आप चौंक जाएंगे. पिछले करीब तीस सालों से कनॉट प्लेस जा रहा हूं लेकिन आजतक कनॉट प्लेस के ब्लाक के बारे में नहीं पता था. यानि कौन ब्लाक किधर है ये मुझे नहीं पता था. ये कल बेटी की वजह से पता लगा. पहले सिम बदलवाने का काम किया. सिम मिल तो गई लेकिन उन्होंने कहा कि इसे एक्टिव होने में करीब ४ घंटे लगेंगे, अगर इस समय में सिम एक्टिव नहीं होती है तो आपको फिर से यही आना पड़ेगा. मैं बार-बार आ नहीं सकता तो 4 चार घंटे यही बिताने थे.

इसी कारण बेटी कहने लगी कि चलो पापाजी 'ऑक्सफ़ोर्ड बुकस्टोर' चलते हैं. हम उधर की ओर चल दिए. कई सालों के बाद जाना हुआ था 'ऑक्सफ़ोर्ड बुकस्टोर'. पहले की अपेक्षा अब थोड़ा खुला-खुला सा लग रहा था. घुसते ही बेटी चहक सी गई. फिर इसके बाद इसने ना जाने कितनी किताबों और लेखकों से परिचय कराया, जिनके बारे में मुझे पता नहीं था. सबके सब विदेशी लेखक थे. एक दो नाम जो याद रह गए. 'Fredrik Backman', 'Haruki Murakami', 'Khalid hoosseini', 'Kristin Hannah' आदि आदि.


बल्कि बेटी 'Before the Coffee Gets Cold-Toshikazu Kawaguch (आजकल इसी किताब को पढ़ रही है.) किताब को उठाकर मुझे दिखाते हुए बोली,' पापाजी देखो मेरी किताब भी यहां है.'


मैं बीच ही में बोल उठा,' ये किताब आप ऐसे दिखा रही है जैसे आप ही की हो.' वो कहां रुकने वाली थी झट से बोलीं,' ओ हो पापाजी! पता है जब आप किसी चीज या आदमी को पसंद करने लगते हैं तो वो चीज अपनी और इंसान अपने ही लगने लगते हैं.'

 

'हां ये बात तो है. जैसे शाहरुख खान मुझे अपना-सा लगता है. उनकी फिल्म हीट हो जाए तो अच्छा लगता है. बेशक वो फिल्म मैंने देखी हो या ना देखी हो.' फिर वो बीच-बीच में अपनी पसंद की किताबें दिखाती रही.


फिर एक जगह रुकी और बोली,' पापाजी ये देखो 'Rom-Com Books'.' 'Rom-Com Books' मतलब.' मैं बोला. ' सच आपको 'Rom-Com Books' का नहीं पता. 'Rom-Com Books' मतलब 'रोमांटिक कॉमेडी' वाली किताबें. 'वो बोली.


सच मुझे आज से पहले Rom-Com किताबों का नहीं पता था. और सच बताऊं तो मैंने आजतक विदेशी लेखकों की कम किताबें ही पढ़ी हैं. लेकिन हां हिंदी के लेखकों को तो खूब पढ़ा है. और उनका परिचय बेटी से भी कराया है. उनके किस्से बेटी को सुनाएं भी हैं. लेकिन तब जब उसे इतनी समझ नहीं थी, जितनी अब है. इसे यूं ही भी कह सकते हैं. मैंने पहले बेटी को हिंदी के लेखकों से मिलवाया था. और बेटी अब विदेशी लेखकों से परिचय करवा रही थी.


फिर बाद में हम दोनों पेट पूजा के लिए 'सरवाना भवन' की तरफ निकल गए.

~17.5.2025~


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