Saturday, September 27, 2025

पापाजी गाने और फिल्म दिल बहलाने के लिए होते हैं नाकि दिल लगाने के लिए

6.

~कमरे में घुसते ही सुना~

मां- पापा की नजर लग गई.

पापा- क्या हुआ भई?

मां- इसके पेपर का (बेटी) सेंटर नॉएडा पड़ गया. जोधपुर पड़ता तो एक दिन पहले जाते दो दिन रूककर आते. 

बेटी- मम्मी चिंता ना करो. मैंने दिल्ली में ही घूमने और खाने की जगह ढूंढ ली है.

मां- दिल्ली में!

बेटी- हां दिल्ली में  'मजनू का टीला'.


[ वैसे घूमने के चक्कर में ही बेटी ने पेपर के सेंटर में दूसरा आप्शन जोधपुर भरवाया था.]

~06.06.2023~


7.


कल गुड नाईट कहने से पहले हम बाप-बेटी जवान फिल्म के गाने की चर्चा कर रहे थे. क्योंकि शाहरुख उसे भी पसंद है.


बेटी- जवान फिल्म का गाना पसंद आया?

पापा- ये कोई गाना है! मुझे ऐसे गाने और ऐसी फ़िल्में पसंद नहीं आतीं. चाहे वो 'पठान' हो या फिर ये 'जवान'.

बेटी- ये बात तो है कि ये गाने इतने अच्छे नहीं हैं. बस एक डांस स्टेप को छोड़कर. लेकिन आप का पता क्या है. आप गाने और फिल्म दिल लगाकर देखते हो. और गाने और फिल्म दिल बहलाने के लिए होते हैं नाकि दिल लगाने के लिए.

~30.08.23~


8.


पापाजी मैं आपको कितनी बार कह चुकी हूं कि गाने और फ़िल्में दिल बहलाने के लिए होती हैं नाकि दिल लगाने के लिए.

[अभी एक गाने के पसंद ना पसंद के बाद.]

~12.09.23~


9.


बेटी- पापाजी पता है कल क्या हुआ?

पापा- क्या हुआ?

बेटी- वो मेरे क्लास का वो लड़का है ना. वो पूछने लगा कि तुम्हारी जाति क्या है? मैं बोली तुम गेस करो. मैं दावे के साथ कह सकती हूं. सही गेस नहीं कर पाओगे! फिर वो सोचकर बोला कि 'तुम बनिए हो'. मैं बोली और सोच लो. पापाजी आपके साथ भी तो हुआ होगा ऐसे ?

पापा- हां मेरे साथ भी बहुत होता था. फिर आगे क्या हुआ?

बेटी- मैं बोली कि हम लोग 'गुर्जर' हैं. तो पता है पापाजी वो लड़का एकदम से दंग रह गया. कुछ सैंकंड तो बस देखता रहा.


( हम दोनों बाप-बेटी खूब हंसते रहे. )


फिर बोला पर अंकल तो पूरे बनिए लगते हैं.


( फिर हम दोनों बाप-बेटी खूब जोरों से हंसने लगे)


[ दरअसल मेरे साथ भी ऐसा ही होता था.और ऐसा ही अब बेटी के साथ हो रहा है ]

~01.10.23~


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